आज हम हिंदी व्याकरण के एक और भाग को जानने वाले है जिसे हम विशेषण (Visheshan) के नाम से जानते है. यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसे समझाना बहुत जरुरी होता है।
इसे सीखना और जानना क्यों जरुरी है?
क्यूंकि …
विद्यालय की परीक्षा हो या फिर किसी नौकरी को प्राप्त करने के लिए दी जारी रही परीक्षा हो, उस परीक्षा में हिंदी व्याकरण के विशेषण के पाठ से हमेशा प्रश्न पूछे जाते है। विशेषण का ज्ञान न होने से हम कुछ सहज अंको को प्राप्त नही कर पाते है।
इसलिए आज हम विशेषण किसे कहते है? और यह कितने प्रकार के होते है ? इन सब के बारे में उदाहरण के साथ समझाने वाले है।
विशेषण किसे कहते है?
सरल भाषा में, विशेषण वह है जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को बतलाता है या विशेषण शब्द वे होते है जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को दर्शाते है।
जिस शब्द के माध्यम से हम किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बता को रहे होते है, वह विशेषण कहलाता है और जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताई गई है, उसको हम संज्ञा या सर्वनाम न कहकर विशेष्य कहते है।
उदाहरण - काला घोड़ा यहाँ पर काला शब्द विशेषण है और घोड़ा विशेष्य है।
ध्यान दीजिएगा की हमारा जो विशेषण है वह सदैव विशेष्य के पहले लगता है। विशेष्य हमेशा पीछे होता है और इसका जो विशेषण है वह इसके आगे रहेगा।
विशेषण का भेद
विशेषण को प्रयोग, स्थान और तुलना के आधार पर बाटा गया है। आमतौर पर यदि आपसे पूछा जाए की विशेषण कितने प्रकार का होता है? तब आप केवल 4 प्रकार का ही बताएँगे क्यूंकि वह प्रयोग के आधार पर ही पूछा गया है। इसलिए आप केवल चार प्रकार का ही बताएँगे।
विशेषण के प्रकार – स्थान के आधार पर
स्थान के आधार पर विशेषण को दो भागों में बाटा गया है, 1) उद्देश्य विशेषण और 2) विधेय विशेषण
उद्देश्य विशेषण
ये वह विशेषण होते है जो अपने विशेष्य के आगे जुड़ते है।
उदाहरण – गाय मीठा दूध देती है।
इस वाक्य में विशेषण मीठा शब्द है और यह दूध की विशेषता बता रहा है।
विधेय विशेषण
ये वह विशेषण होते है जिनका विशेष्य पहले होता और इसका विशेषण उसके बाद होता है।
उदाहरण – यह चाँदी खोटी -सी है।
यह किसकी विशेषता बता रहा है ? चांदी की विशेषता बता रहा है। तो यह चांदी यहां पर क्या है यह एक विशेष्य है और यह जो खोटी सी है यह इसका विशेषण है। लेकिन यहां पर ध्यान दीजिएगा वाक्य में जो यह शब्द है वह भी एक विशेषण है लेकिन कौन सा विशेषण है ? वह सार्वनामिक विशेषण है।
विशेषण के प्रकार – प्रयोग या रचना के आधार पर
प्रयोग के आधार पर विशेषण को चार भागों में बाटा गया है – 1) गुणवाचक विशेषण, 2) संख्यावाचक विशेषण, 3) परिमाणवाचक विशेषण और 4) संकेतवाचक या सार्वनामिक विशेषण।
गुणवाचक विशेषण
संख्यावाचक विशेषण
परिमाणवाचक विशेषण
संकेतवाचक / सार्वनामिक विशेषण
विशेषण के प्रकार – तुलना के आधार पर
तुलना के आधार पर विशेषण को तीन भागों में बाटा गया है 1) मूलावस्था, 2) उत्तरावस्था और 3) उत्तमावस्था।